लेखनी प्रतियोगिता -23-Dec-2021 खेल
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समय समय की बात है---
समय खेल खिलाएगा,
हंस चुगेगा दाना तिनका---
कौवा मोती खायेगा,
राजनीती की होड़ में---
खेले कितने प्रपंच,
बिन बुद्धि विवेक के---
घेरे कुर्सी और मंच,
जनता की सुध बुध नहीं---
करते वाद विवाद,
खुद निश्चिंत बैठ गए---
जनता में अवसाद,
समय समय की बात है---
समय समय का फेर,
समय के आगे ढेर है---
मानव हो या शेर,
सत्ता शासन की गई---
हो गई चकनाचूर,
समय की आंधी ने करवट ली---
सब हो गए मजबूर,,
हो चाहे शक्तिशाली---
या चाहे बलवान,
समय सभी का बदलता है---
हो चाहे संत महान,
संगीता वर्मा ✍️✍️,
Shrishti pandey
24-Dec-2021 08:47 AM
Nice
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Abhinav ji
23-Dec-2021 11:32 PM
Very beautifull
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Sana
23-Dec-2021 08:45 PM
👏
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